जब कोहरे से भरी सुबह
स्वागत करने लगे।
जब नर्म घासों पर चलकर
ओसों की बूंदों से
पांव भींगने लगे।
जब धूप सुहानी लगने लगे।
गर्म कपड़े भाने लगे।
मूंगफली, गुड़, मटर, गाजर,
देख मन ललचाने लगे।
दिन बड़ी जल्दी ढल जाने लगे।
शाम होते ही रात घिर जाने लगे।
गर्मा-गरम चाय काफी
सूप का दौर जब चलने लगे।
मनभावन सर्दी का स्वागत
हम सब अद्वितीय करने लगे।
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