बादलों के संग
छोड़ कर उड़ना,
कुछ क्षणों के लिए
जमीं पे उतर आ,
धरती मां का ले कर आशीष,
फिर ऊंचाइयाें को छू ले।
जानता है तू,
उड़ कर बहुत देर बाद,
उतरना तो होगा,
इसी धरती माता के अंक में तुझे।
ऊंचाइयाें को छूने वाले
कभी अपनी जमीं को
नहीं भूलते।
सीख लिया इस सीख को जिसने,
अटल लक्ष्य पर रहता है।
आगे जाकर वही अद्वितीय
महान कहलाता है।।
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