बड़ी ठोकरे खायी मैंने,
हौसला लगभग टूट गया था।
पर एक बात सदा रही
कोशिश करना न छूट सका था।।
जहां जहां उम्मीद थी,
हर जगह ना-उम्मीद हुई।
हर आशा, निराशा में बदली,
पर कोशिश कभी कम न हुई।।
मैं अपनी राह पे चलता रहा,
मंजिल कभी पास न आई।
दूर दूर तक अंधेरा था,
पर रफ्रतार कम न हुई।।
कई दशक बीत गये,
पर हार कभी न मानी।
लोग खिल्लियां उड़ाते रहे,
पर मंजिल पाने को ठानी।।
एक दिन ऐसा आयेगा,
कोशिश कामयाबी लायेगा।
वह दिन अब दूर नहीं अद्वितीय,
सफलता की बुलंदी छायेगा।।
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