बड़ी ठोकरे खायी,
हौसला लगभग टूट गया।
पर एक बात सदा रही,
कोशिश करना न छूट सका।।
जहां जहां उम्मीद थी,
हर जगह ना-उम्मीद हुई।
हर आशा, निराशा में बदली,
पर कोशिश कभी कम न हुई।।
अपनी राह पे चलता रहा,
निरन्तर प्रयास होता रहा।
मस्तिष्क रुपी धरती पर अद्वितीय,
निष्ठा पूर्वक परिश्रम करता रहा।।
बोई फसल उग आई,
सफलता के फूल चहूं ओर छाई।
धैर्य, परिश्रम और निरन्तर प्रयास,
आखिर कामयाबी ले ही आई।।
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