आज मैंने खोल दी है,
मन की बंद खिड़कियां।
देखो देखो मन के आंगन में,
इन्द्रधनुष निकल आया है।।
सात रंग की सबसे अनूठी,
बेहद प्यारी सबसे निराली।
रंग बिरंगी उम्मीदों से भारी,
हर रंग की बात निराली।।
आशाओं से भरी भरी,
संकल्पों से अटी पड़ी।
आत्मविश्वास के रंग ने,
जोड़ दी जो थी टूटी पड़ी।।
फिर से उम्मीद बना दी है,
बुलंदी छूने की आस जगा दी है
आज मैंने खोल दी अद्वितीय।
मन की बंद खिड़कियां।।
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