बाल से किशोर तक,
किशोर से युवा तक,
सफर जीवन का बढ़ता गया।
दिन बीतता रहा, मंजिलें जीतता रहा,
परन्तु मुस्कुराहट सिमटता गया।
भावनायें मिटती रहीं,
संवदेनायें घटती रहीं।
सुकून जीवन से दूर होती गयी।
नयी बातें, नये रास्ते उन्हीं में खोता गया
युवा से वृद्ध की ओर
सफर जीवन का बढ़ता गया
दूरियां सपनों से, स्नेह भरे रिश्तों से
सम्पर्क छूटता गया, उम्र बढ़ता गया।।
अपनों से अकेलेपन तक अद्वितीय,
सफर जीवन का बढ़ता गया।।
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