Jun 4, 2025

एक सूनापन

एक सूनापन


तुम्हारे जाने के बाद,

आया जो एक सूनापन।

मन को घायल कर गया

कहीं नहीं लगता अपनापन।।

कभी धीमें कभी जोर से,

करते थे हम जो बातें।

कभी सुनते कभी सुनाते,

हो जाती थी देर रातें।।

अब तो सब कुछ मौन पड़ा है,

समय मानो वहीं खड़ा है।

आंखों में उलझे आंसू,

धरती पर टप-टप गिर रहा है।।

कैसे अब तुझे मनाऊं,

वापस घर को कैसे लाऊं।

एक बार अद्वितीय पुकारो,

जीवन भर को अपना लो।।

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