निराशा छोड़ दी
निराशा छोड़ दी जबसे,
आत्मविश्वास बढ़ गया है।
आशावादी बन गया जबसे,
सफलता का नशा चढ़ गया है।।
पूरे उत्साह के साथ बढ़ा,
बढ़ता गया, कार्य करता रहा।
मैं हार नहीं मानूंगा,
यह अपने मन को कहता रहा।।
कोई कार्य कठिन नहीं है,
मुठ्ठी बांध, रौब से कहता हूं।
करके देखो, आगे बढ़के देखो,
सफलता कदमों में होगी
अद्वितीय फिर से कहता हूं।।
No comments:
Post a Comment