एक कहानी
लिखा जीवन की कहानी।
जब कर्मों की गति जानी।।
प्रेम प्यार को सर्वस्य माना,
रिश्ते नातों को अपनाना,
मर्यादाओं में जीना मरना,
अपने कर्म को करते जाना,
बस यहीं भटक गया ज्ञानी,
समय की चाल नहीं पहचानी।
लिखा जीवन की कहानी।।
धन अवरोधों को सदा पाया,
विपदा में मन को समझाया,
पर चुनौतियों से पार नहीं पाया,
न लक्ष्य बना, न मंजिल मिली,
अपनी लम्बी उम्र गंवाया,
अब जब कर्मों की गति जानी।
लिखा अद्वितीय एक कहानी।।
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