सपनों की मंजिल
जिंदगी के सफर में
एक ही अभिलाषा।
सपनों की मंजिल मिले,
जीवन की यही आशा।।
चलता रहा राह में,
छाया था घोर अंधेरा।
लगा ख्वाहिशें थम जाएगी,
मंजिल नहीं मिल पायेगी।।
पुरुषार्थ की ढाल लेकर,
धैर्य भरा चाल लेकर।
विपदाओं का सामना कर,
चलता रहा लक्ष्य को बांध कर।।
आन्तरिक शक्ति लक्ष्य किया जाग्रत,
अवरोधों को कराया पार।
फिर वक्त ऐसा आया,
पग गति रुक न पाया।
छंटते गए अद्वितीय बाधाएं सभी,
मानो मंजिल हो सामने खड़ी।।
No comments:
Post a Comment