संग तुम हो
बंद नयन पर देखूं तुझे
हृदय में जो, बसे तुम हो।
आ जाओ सजन अब लगे ऐसे
नयनों के आगे, जैसे तुम हो।।
मन के तार छेड़ गये तुम तो,
बेचैन मन, लगे पास तुम हो।
हाल दिल का यह है सनम,
जगूं या सोऊं, लगे संग तुम हो।।
सातो जनम साथ निभाऊं,
सजन संग संग तुम हो।
नयनों में मिलन की आतुरता,
अंग अंग पुकारे कहां तुम हो।।
राह निहारूं करूं प्रार्थना,
अद्वितीय प्रेम हमारा तुम हो।
अंसुअन की धारा फूट पड़े न,
आ जाओ सजन जहां तुम हो।।
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