नारी की अद्वितीय शान
मैं आज की नारी-सक्षम, दक्ष, सशक्त।
शिक्षा कौशल से बनी मैं पूर्ण अभ्यस्त।।
हममें है मां की कोमलता,
हममें बादलों सा गर्जन भी है।
वायु सी है शीतलता हममें,
सागर सा तूफान भी है।।
अपने दृढ़ निश्चय से हमने,
हर लक्ष्य को पाना सीखा।
अब तक घर गृहस्थी में रमते थे,
अब हर कार्य करना सीखा।।
सृष्टि की सर्वोत्तम कृति कहलाती,
संस्कृति रक्षक बन कर हर धर्म निभाती।
मैं ढाल भी हूं, तलवार भी हूं,
मैं गंगा सी निर्मल जलधार भी हूं।।
हर क्षेत्र में बढ़ रही नारी की अद्वितीय शान,
आठ मार्च बन गया महिला दिवस सम्मान।
पढ़ी-लिखी नारी सदा होती गुणों की खान,
शिक्षा के वरदान से रचती देश महान।।
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