Mar 21, 2025

 अतीत और वर्तमान


रोज की तरह, आज भी शाम हो गई। 

सूरज पश्चिम में, पहाड़ों के पीछे डूब गया। 

दिन भर के थके सभी, घरों को लौटने लगे। 

चारों ओर शाम का धुंधलका पसरने लगा। 


हृदय को उद्वेलित करता

शहर में बत्तियां जगमगाने लगीं।

समय के इस तीव्र परिवर्तन में 

स्मृतियां कुलबुलाने लगीं। 


चाय की चुस्कियों के साथ, 

सांझ को ढलते हुये जब देखता,

खुशी भी देता, पीड़ा भी देता, 

धीरे-धीरे अंधेरा पसरने लगता।


मन पिछले दो दशक 

एक साथ पार करता गया।

वह सुनहरा और कड़ुवाहट भरा 

अतीत उसके हृदय में उतरता गया। 


उसकी सुंदरता, सौम्य मुस्कान 

जिसे देखते ही उसके------- 

दिल की धड़कन बढ़ जाती है। 

जब वह उसके नजदीक से 

होकर गुजर जाती है।

 

और तभी रात के दस बज जाते हैं,

टन-----टन----टन--------- 

घंटाघर के घंटे बजने लगते हैं, 

वर्तमान में अद्वितीय ले आते हैं।। 

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