प्रेम किया मैं ने सब स
प्रेम किया मैं ने सब से,
सब ने उपहास किया।
अंतर धन वैभव का था,
मैंने यह अहसास किया।।
अपमान पीड़ा पाकर भी,
रखा अधरों पर मुस्कान।
द्वेष ईष्या से दूर रहा,
न किया कभी अभिमान।।
जिनसे मैंने प्रेम किया,
वे सब हैं अपने हित जान।
धन वैभव उनके पास,
क्यों न करें वे अभिमान।।
सोच यही रखकर मैं,
उनका आदर करता हूं।
हर स्थितियों में मैं
उनका सम्मान करता हूं।।
ईश्वर से करता प्रार्थना,
प्रसन्नता हर हाल रहे।
अद्वितीय प्रगति हो हमारी,
हम सब खुशहाल रहें।।
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