ज्ञान की देवी
धरा पर है मौसम सुहाना
हवा में है मस्ती छाई।
सर्दी की घनी ठिठुरन से
सबने छुटकारा पाई।।
ट्टतु बसंत की आहट से
महकने लगी है अमराई।
सर-सर-सर पवन बहे,
वनस्पतियों में छाई तरूणाई
वसंत पंचमी की तिथि है आज,
माँ सरस्वती की पूजा करेंगे।
हम भारत-भू के हैं शिक्षार्थी,
माँ के चरणों में सीस नवायेेंगे।।
विद्या का है यह त्यौहार,
अपनी संस्कृति का है उपहार।
ज्ञान की देवी है तू माँ,
यह पर्व है एक संस्कार।।
आओ हम सब आरती गायें
एक दूसरे को गुलाल लगायें
उमंग उल्लास के संग संग
शिक्षित होने का संकल्प दिलायें।
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