मन को बहलाती है,
तन को सहलाती है,
कभी गुनगुनाती है,
कभी गुदगुदाती है
आरती की थाली से गुजर कर
पावन कर जाती है।
कभी यादों में ले जाती है,
कभी याद दिलाती है,
मन को स्पर्श करती है,
तन को स्पर्श करती है,
आंचल को उड़ा उड़ाकर
मंत्रामुग्ध कर जाती है।
सांसों में बसी रहती है,
जीवन भर साथ देती है,
कभी उष्ण होती है,
कभी शीतल होती है,
अपने इस परिवर्तन से
मौसम को बदल देती है।
वह हवा ही तो होती है।
वह हवा ही तो होती है।।
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