चलो बताऊँ कुछ वर्ष पहले
प्रातः ऐसा होता था.......
सुबह सवेरे नींद से जगते,
ध्यान बाहर को जाता था।
आँखों को मलते सबसे पहले,
अखबार उठाया जाता था।।
चलो बताऊँ कुछ वर्ष पहले
प्रातः ऐसा होता था.......
कुछ पृष्ठ पढ़ते, कुछ उलटते,
समाचारों पर नजर दौड़ाते थे।
कहीं कार्टून हँसगुल्ले दिखा नहीं,
पढ़कर जोर जोर से हँसते थे।।
कुछ तो मुंह में घंटों दातुन दबाकर
अखबार पर दृष्टि जमाये रखते थे।
कई उसमें छपे समाचारों की चर्चा,
अपनों के संग करते थे।।
चलो बताऊँ कुछ वर्ष पहले
प्रातः ऐसा होता था.......
अब तो सुबह सवेरे नींद से जगते,
स्मार्ट फोन का ध्यान आता है।
किसने किस पर क्या क्या भेजा,
उसी का अवलोकन होता है।।
अब तो अपने मित्र सारे
लिंक विडियो सेल्फी वायरल करते हैं।
कार्टून हंसगुल्ले चुटकुलों की जगह
मीम्स भिजवाया करते हैं।।
दुनिया बदल रही है अब तो,
तस्वीर ही देखी जा रही है।
शब्द भाषा साहित्य नहीं,
अभिव्यक्ति चित्र चलचित्र से हो रही है।।
चलो बताऊँ अब दुनिया में
प्रातः ऐसा होता है.......
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