Mar 5, 2020

Motivational Poem In Hindi मन मचल-मचल जाता



मन मचल-मचल जाता


पतझड़ के पत्तों से 
सड़कें अटी पड़ी हैं,
सर्दी की चुभन भी 
अब कम हो चली है।

हवा में मस्ती का बढ़ रहा है रंग।
परन्तु अन्दर सिहर रहा है मन।।

फूलों और पत्तों में 
नयापन आने लगा है,
ऋतु का परिवर्तन तन-मन को 
बासंती बनाने लगा है।

हवा में मस्ती का बढ़ रहा है रंग।
परन्तु अन्दर सिहर रहा है मन।।

अनचाहे बदलाव का चक्र
जीवन में उथल-पुथल मचा रहा है,
हम चाहें या न चाहें
कोई विकल्प बच नहीं रहा है।

हवा में मस्ती का बढ़ रहा है रंग।
परन्तु अन्दर सिहर रहा है मन।।

महामारी रोग का, बदरंग सोच का
हर तरफ प्रभाव दिख रहा है,
काश, यह निराशा, पतझड़ बन जाता,
सारे जहाँ में यह बसंत छा जाता।

हवा में मस्ती का रंग और बढ़ जाता।
अद्वितीय मन मचल-मचल जाता।। 

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