चलो फूलों की क्यारी में
फिर से पकड़ो मेरा हाथ
कंधे पर रखो दूसरा हाथ
क्यों कैद हो चारदीवारी में
चलो फूलों की क्यारी में
जहाँ गुलाब इठला रहे होंगे,
भंवरे गुनगुना रहे होंगे।
तितलियां मंडरा रही होंगी,
चिड़ियां चहचहा रही हांेगी।।
वहाँ जीवन में रंग भर जायेगा
उत्साह और उमंग आ जायेगा।
तरंगों से सांसे तरल हो जायेगी
जीवन पहेली नहीं रह पायेगी।।
यह तो जीवन का विधान है
रात गई फिर दिन आता है।
इसी तरह आते-जाते
यह सारा जीवन जाता है।।
जीवन के नियम को
आज तक कौन तोड़ सका है।
बचपन बीता, आई जवानी
और बुढ़ापा मुस्काता है।।
फिर से पकड़ो मेरा हाथ
नया साल का है अब साथ।
चलो कुछ नया हम करते हैं
जीवन में नया नया सा भरते हैं।।
नव वर्ष की ढेर सारी बधाई
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