प्रेम के रास्ते
छोटी-छोटी बात का बतंगड़ न बनाना।
जीना मुश्किल हो जाएगा दिल से न लगाना।।
बनाने में रिश्तों को बरसों लगते हैं।
तोड़ने में इन्हें पल भी कम पड़ते हैं।।
गिला शिकवा अपनों से किया जाता है।
ऐसा नाता परायों से कहां होता है।।
रूठना मनाना मजा है जिंदगी का।
रिश्तों को तोड़ देना सजा है जिंदगी का।।
प्रेम प्यार से बनाये इसे रखिये।
सबके स्नेह को सदा याद कीजिये।।
सामने वाला रूठा है अगर पता कर लेते।
धीरे-धीरे वे रिश्ते मृतप्राय नहीं होते।।
संवादहीनता की स्थिति कभी नहीं आये।
रूठने मनाने को जिंदगी का लुत्फ बनायें।।
रिश्ते और नाते पौधें की तरह होते।
प्रेम और स्नेह लगातार वे हैं चाहते।।
सर्वगुण-संपन्न कहां कोई होता।
अच्छाई-बुराई मानव में ही होता।।
मतभेद को स्वस्थ नजरिए से जो लेते हैं।
मन में कटुता अद्वितीय नहीं भरने देते हैं।।
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