Dec 5, 2018

Motivational Poem In Hindi एक डोर से बंधा रहा


एक डोर से बंधा रहा


शताब्दियों से एक सी व्यवस्था रही,
भावनायें पूर्ण होती रही।
सदियों से समाज एक डोर से बंधा रहा। 
संस्कार और संस्कृति का सम्मान रहा।
जीवन-धारा में परिवर्तन हुए, 
किन्तु हम आंदोलित न हुए।
पर अब 
न वे भाव रह गये न भावनायें।
विश्वास को अविश्वास में बदलते रहे।  
अपनी परम्पराओं से दूर होते गये।  
विकृतियाँ अपने में भरते
 रहे।
कितनी संस्कृतियों का आविर्भाव हुआ
कितनी अतीत के गर्त में समा गयीं।
परन्तु
हमारी सभ्यता सनातन है 
इसीलिए अद्वितीय पुरातन है। 
एक हाथ से अतीत को थामे
दूसरे हाथ से भविष्य को
वर्तमान को साथ लिए 
प्रगति जीवन का लक्ष्य हो।
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