चांदनी रात में,
चमकते वृक्षों के पत्ते,
चांदनी को अपनाते हुए
करता है कलाकारी।
और झीलों के इर्द-गिर्द,
रंग-बिरंगे वृक्षों के गुरमट,
निर्मल जल के उपर
बनाकर परछाईयों की कलात्मक कृति
उकेर देते हैं भव्य चित्रकारी।
और उन वृक्षों पर बैठा
खूबसूरत पक्षी
जब अपनी विभिन्न आवाजों से
तरन्नुम पैदा करते हैं
जो हृदय में सहिष्णुता को जन्म देकर
भर देते हैं बाल मन सा किलकारी।
और बर्फ के तोदों की
भरमार से जब
वह पर्वत के वृक्ष
सफेद रंग की बर्फीली चादर से
लद जाते हैं
तब अपने अस्तित्व से
एक बेइन्तिहा नजारा दिखाकर
कहती है यही है हमारी प्रकृति
अद्भुत, अद्वितीय और भव्यकारी।
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