अद्वितीय रूप
शाम का डूब रहा सूर्य
मद्धम मंथन लौ से
परिपूर्ण होकर
जब रंग बिरंगे वृक्षों की
रंगीन शाखाओं में
लुप्त होने लगता है
तब...............
अलौकिकता की प्रभुसत्ता से
धरती की गोदी में
व्यापक भव्यता, मानवता
और सांझीवालता का
संदेश गुंजता है।
गोधूली बेला में
अस्त हो रहा सूर्य
जब आसमां के पीछे छुप कर
धरती की मिट्टी सा
सोने के रंग की किरणें
बिखेरते हैं तब.....
कुदरत का यह रंग
हमारी धर्मभूमि, कर्मभूमि,
और पुण्यभूमि को
स्वर्ग का अद्वितीय रूप देकर
मानवता के लिए
अविस्मरणीय बना देती है।
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