Apr 7, 2018

Hindi Poem दोषी कौन ?


Hindi Poem

दोषी कौन ?

अपना मुखड़ा स्वयं देख तुम
अगर शरमा जाओ
दर्पण को दोष न देना
दोषी, नयन तुम्हारे होंगे

कजरारे नयनों में अगर
कोई आकर बस जाये
काजल को दोष न देना
दोषी, मन तुम्हारा होगा

हृदय में प्रेम का अंकुर फूटे
गालों पर लाली छा जाये
प्रेम को दोष मत देना
दोषी, यौवन तुम्हारा होगा

घड़ी घड़ी श्रृंगार करे
हर पल जब रूप निहारे
श्रृंगार का इसमें क्या दोष
दोषी, रूप तुम्हारा होगा

मन में कोई छवि बसे
और मन ही मन मुस्काये
मुस्कुराहट को दोष मत देना
दोषी, मन तुम्हारा होगा

गीत अधरों पर आकर
अगर गुनगुनाने लगे
अधरों का इसमें क्या दोष
दोषी, गीत तुम्हारे होंगे

अगर नयन राह पर टिक जाये
किसी की प्रतीक्षा में बिछ जाये
राह को देते क्यों दोष
दोषी, नयन तुम्हारे होंगे

अपना मुखड़ा स्वयं देख तुम
अगर शरमा जाओ
दर्पण को दोष न देना
दोषी, नयन तुम्हारे होंगे

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