Motivational Poem
चाँद तुझे देखता हूँ , अपलक निहारता हूँ
चाँद तुझे देखता हूँ
अपलक निहारता हूँ
तेरे श्वेत प्रेम प्रकाश में
अपनेपन को तलाशता हूँ ।
चाँद तुझे देखता हूँ ।
अपलक निहारता हूँ ।।
तेरी निर्मल चाँदनी में
एक नई सोच लिए
रात भर भींगता हूँ
और अभिभूत हो जाता हूँ ।।
चाँद तुझे देखता हूँ ।
अपलक निहारता हूँ ।।
तेरी शीतल किरणें
मन के अंधकार को मिटाता है ।
और हर पल
एक नई उम्मीद जगाता है ।
चाँद तुझे देखता हूँ।
अपलक निहारता हूँ।।
जगी हुए उम्मीद से,
एक राह दिखाई देता है
मंजिल हो तुम्हारे जैसी
काश वह वहां पहुँचाता हो।।
चाँद तुझे देखता हूँ ।
अपलक निहारता हूँ ।।
चाँद तुझे देखता हूँ
अपलक निहारता हूँ
तेरे श्वेत प्रेम प्रकाश में
अपनेपन को तलाशता हूँ ।
चाँद तुझे देखता हूँ ।
अपलक निहारता हूँ ।।
तेरी निर्मल चाँदनी में
एक नई सोच लिए
रात भर भींगता हूँ
और अभिभूत हो जाता हूँ ।।
चाँद तुझे देखता हूँ ।
अपलक निहारता हूँ ।।
तेरी शीतल किरणें
मन के अंधकार को मिटाता है ।
और हर पल
एक नई उम्मीद जगाता है ।
चाँद तुझे देखता हूँ।
अपलक निहारता हूँ।।
जगी हुए उम्मीद से,
एक राह दिखाई देता है
मंजिल हो तुम्हारे जैसी
काश वह वहां पहुँचाता हो।।
चाँद तुझे देखता हूँ ।
अपलक निहारता हूँ ।।
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