Dec 4, 2017

Motivational Poem चाँद तुझे देखता हूँ अपलक निहारता हूँ



Motivational Poem
चाँद तुझे देखता हूँ , अपलक निहारता हूँ

चाँद तुझे देखता हूँ
अपलक निहारता हूँ
तेरे श्वेत प्रेम प्रकाश में
अपनेपन को तलाशता हूँ ।

चाँद तुझे देखता हूँ ।
अपलक निहारता हूँ ।।

तेरी निर्मल चाँदनी में
एक नई सोच लिए
रात भर भींगता हूँ
और अभिभूत हो जाता हूँ ।।

चाँद तुझे देखता हूँ ।
अपलक निहारता हूँ ।।

तेरी शीतल किरणें
मन के अंधकार को मिटाता है ।
और हर पल
एक नई उम्मीद जगाता है ।

चाँद तुझे देखता हूँ।
अपलक निहारता हूँ।।

जगी हुए उम्मीद से,
एक राह दिखाई देता है
मंजिल हो तुम्हारे जैसी
काश वह वहां पहुँचाता हो।।

चाँद तुझे देखता हूँ ।
अपलक निहारता हूँ ।।
---------------------------------------------------------------------
///////////////////////////////////////////////

No comments:

Post a Comment