सर्दियों लिए विशेष
आधुनिक मानव के लिए प्रकृति का उपहार
कम्प्यूटर व मोबाइल चलाने वाले के लिए
बेहद जरूरी है आंवला
बेहद जरूरी है आंवला
1. इसके सेवन से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है।
2. स्मृति शक्ति का प्रचुर रूप से विकास होता है।
3. वृद्धावस्था का समय से पूर्व आगमन नहीं होता।
4. शरीर के प्रत्येक अंग को नवजीवन प्रदान करता है।
5. शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम करने में मदद करता है।
6. श्वसन-सम्बन्धी रोगों में रामबाण औषधि का कार्य करता है।
7. प्रतिदिन सेवन करने से लौह तथा कैल्शियम की पूर्ति होती है।
8. वृद्धावस्था में भी मनुष्य पूर्ण निरोगी और बलवान बना रहता है।
9. आंवले के सेवन से शारीरिक शक्ति के साथ बौद्धिक विकास भी होता है।
आंवला का वृक्ष
आंवले का वृक्ष मध्यम आकार का सदा हरा-भरा रहने वाला होता है।
इसकी वृद्धि बहुत धीमी गति से होती है।
आठ से दस वर्ष तक फल लगने की प्रतीक्षा करनी पड़ती है।
वृक्ष की आयु के साथ-साथ फलों की संख्या भी बढ़ती जाती है।
एक वृक्ष से 6-8 क्विंटल तक फल की प्राप्ति हो जाती है।
उत्तरी भारत में सितम्बर से अप्रैल माह तक इसकी प्राप्ति होती है
दक्षिण भारत में वर्ष भर फलता-फूलता रहता है।
यह अमृत तुल्य है
आंवले की जड़, पत्ते, गूदा गुठली सभी अंग महत्त्वपूर्ण हैं।
बालों पर लगाने से बाल लम्बे, काले व घने हो जाते हैं। बालों के जुऐं व लीखें भी दूर हो जाती हैं।
पायरिया रोग में इसके फल का किसी भी रूप में नित्य सेवन करने से अवश्य ही लाभ होता है।
बच्चों को प्रतिदिन सेवन कराने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
अर्थात् इसके सेवन से स्मृति, दृष्टि, कांति, स्पूफर्ति, नवयौवन, इन्द्रिय-बल में वृद्धि होती है।
यह सर्दियों में बहुतायत में मिलता है।
यह सभी के लिए समान रूप से सेवनीय है।
यह सुदृढ़ स्वास्थ्य एवं दीर्घायु देने में सक्षम है।
बहु प्रचलित टानिक-च्यवनप्राश एवं महान चूर्ण त्रिफला आंवले का ही मिश्रण है।
आंवला के नित्य सेवन से शरीर से विजातीय द्रव्यों को जो रोगों का कारण बनते हैं निष्कासन होता है।
2. स्मृति शक्ति का प्रचुर रूप से विकास होता है।
3. वृद्धावस्था का समय से पूर्व आगमन नहीं होता।
4. शरीर के प्रत्येक अंग को नवजीवन प्रदान करता है।
5. शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम करने में मदद करता है।
6. श्वसन-सम्बन्धी रोगों में रामबाण औषधि का कार्य करता है।
7. प्रतिदिन सेवन करने से लौह तथा कैल्शियम की पूर्ति होती है।
8. वृद्धावस्था में भी मनुष्य पूर्ण निरोगी और बलवान बना रहता है।
9. आंवले के सेवन से शारीरिक शक्ति के साथ बौद्धिक विकास भी होता है।
आंवला का वृक्ष
आंवले का वृक्ष मध्यम आकार का सदा हरा-भरा रहने वाला होता है।
इसकी वृद्धि बहुत धीमी गति से होती है।
आठ से दस वर्ष तक फल लगने की प्रतीक्षा करनी पड़ती है।
वृक्ष की आयु के साथ-साथ फलों की संख्या भी बढ़ती जाती है।
एक वृक्ष से 6-8 क्विंटल तक फल की प्राप्ति हो जाती है।
उत्तरी भारत में सितम्बर से अप्रैल माह तक इसकी प्राप्ति होती है
दक्षिण भारत में वर्ष भर फलता-फूलता रहता है।
यह अमृत तुल्य है
आंवले की जड़, पत्ते, गूदा गुठली सभी अंग महत्त्वपूर्ण हैं।
बालों पर लगाने से बाल लम्बे, काले व घने हो जाते हैं। बालों के जुऐं व लीखें भी दूर हो जाती हैं।
पायरिया रोग में इसके फल का किसी भी रूप में नित्य सेवन करने से अवश्य ही लाभ होता है।
बच्चों को प्रतिदिन सेवन कराने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
अर्थात् इसके सेवन से स्मृति, दृष्टि, कांति, स्पूफर्ति, नवयौवन, इन्द्रिय-बल में वृद्धि होती है।
यह सर्दियों में बहुतायत में मिलता है।
यह सभी के लिए समान रूप से सेवनीय है।
यह सुदृढ़ स्वास्थ्य एवं दीर्घायु देने में सक्षम है।
बहु प्रचलित टानिक-च्यवनप्राश एवं महान चूर्ण त्रिफला आंवले का ही मिश्रण है।
आंवला के नित्य सेवन से शरीर से विजातीय द्रव्यों को जो रोगों का कारण बनते हैं निष्कासन होता है।
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