आत्मसंवाद व आत्मचिन्तन जरूरी है ?
आज मनुष्य के जीवन में अशांति बढ़ रही है। पारिवारिक कलह बढ़ रहा है। आनन्द का नामोनिशान मिटता जा रहा है। सभी तरफ तनाव ही तनाव है। हालत यह है कि लोग खुल कर हंसना क्या मुस्कुराना भी भूल गये हैं। उक्त सभी समस्याओं के पीछे एक ही कारण है-आत्मसंवाद का न होना। अर्थात् मनुष्य का यह टूटन आत्मसंवाद के न होने का परिणाम है। इस टूटन को आज हम सब महसूस कर रहे हैं। हम कभी भी नहीं सोचते कि आखिर जो कुछ हम कर रहे हैँ क्यों कर रहे हैं, किसके लिए कर रहे हैं? क्या इससे हमारा भला होगा? परन्तु यह सब कुछ जानने एवं परखने का हमारे पास समय नहीं है।
मुठ्ठी भर नींद लेकर
सुबह से रात तक परेशान रहते हो
आखिर क्या तलाशते हो
कभी सोचा है?
गहराई से विचार करें तो पायेंगे कि हर अच्छी और बुरी घटना के पीछे व्यक्ति ही होता है। जब तक व्यक्ति में बदलने की इच्छा जागृत नहीं होगी जब तक इससे छुटकारा नहीं पा सकता।
सुखी, शांत एवं आनन्दित जीवन जीने के लिए अत्यंत आवश्यक है कि व्यक्ति हर कार्य करनेे से पहले आत्मचिन्तन करे, गहराई से विचार करे। अच्छाई और बुराई के बारे में आत्मसंवाद करे। क्योंकि इसी आत्मसंवाद से हमारी व परिवार की खुशियां जुड़े हुए हैं।
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