‘भागो मत, सामना करो’
यह सुनते ही स्वामी जी को जैसे प्रकाश मिल गया
स्वामी जी परिव्राजक के रूप में एक मन्दिर के प्रांगण में जा रहे थे। कुछ ढीठ बन्दर उनके पीछे झपटे। उनसे बचने के लिए स्वामी जी दौड़े। बन्दर भी दौड़ पड़े और उन्होंने स्वामी जी का पीछा नहीं छोड़ा। स्वामी जी जैसे-जैसे गति तेज करते थे, बन्दर भी छलांग लगाते उनके पास पहुंच जाते। एक पुजारी यह दृश्य देख रहे थे। उन्होंने चिल्ला कर स्वामी जी से कहा, ‘भागो मत, सामना करो।’ यह सुनते ही स्वामी जी को जैसे प्रकाश मिल गया हो! वे तुरन्त ही मुड़ कर खड़े हो गये। यह देखकर बन्दर रुक गये। अब स्वामी जी निर्भय होकर बन्दरों की ओर बढ़े तो बन्दर पीछे हटते गये और शीघ्र ही नौ दो ग्यारह हो गये।
यह केवल घटना नहीं बल्कि जीवन जीने के लिए प्रेरणादायक वाक्य है-‘भागो मत, सामना करो।’ हम न जाने किन-किन बातों से भागते-फिरते हैं। यदि हम भागें नहीं, उनका सामना करें तो विपदाएं, कष्ट और अवरोध सब दूर हो जायें।
स्वामी जी इस मन्त्र को सम्बल बना कर उठे, आगे बढ़े और बढ़ते ही चले गये।
बाधाएं तो आती ही रहती हैं। हमें भी इस मंत्र को सम्बल बना कर
उठना,
आगे बढ़ना,
और बढ़ते ही चले जाना चाहिए,
जब तक हमें अपना लक्ष्य,
प्राप्त नहीं हो जाता।
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