Jun 3, 2017

Motivational Story in Hindi अति भावुक व संवेदनशील व्यक्ति हर बात को अति गंभीरता से लेते हैं


बड़े-बड़े चिकित्सक व मनोचिकित्सक का कहना है कि व्यक्ति की आधी बीमारी का इलाज तो उसकी हंसी-खुशी व खुश मिजाजी में है। अति भावुक व संवेदनशील व्यक्ति हर बात को अति गंभीरता से लेते हैं। उसने ऐसा कहा तो क्यों कहा? मैं उसके घर गया/गयी तो उसने ढंग से बात भी नहीं की, उसने मेरे कपड़ों पर टिप्पणी की। उसने मेरे मोटे या दुबले होने पर कटाक्ष किया। वह समझती/समझता क्या है अपने आपको? अब मैं उससे कभी बात नहीं करूँगा/करूँगी।
 किसी के द्वारा कही गई किसी भी बात को पकड़ कर घुटते रहना तो वाकई में बेवकूफी है। इससे किसी का कुछ बिगड़ता नहीं। फर्क सिर्फ घुटते रहने वाले को पड़ता है।
घर के लोग यदि क्रोधवश, खीज या चिड़चिड़ाहट में कुछ कह दें तो भी बात पकड़ कर नहीं बैठ जाना चाहिये
कहने का तात्पर्य यह है कि जिंदगी को सहजता से और तनाव रहित जीने के लिये खुशमिजाजी आवश्यक है। इसके लिये जरूरी है कि आप हर बात में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं। खुद के प्रति भी सकारात्मक दृष्टिकोण रखें। यदि आपकी कोई समस्या हो भी तो चिढ़ने-कुढ़ने से कुछ नहीं होगा। शांतिपूर्वक बैठकर उसका हल ढूंढे। बेकार व्यर्थ की चिंता पाल कर खीजते रहने से क्या फायदा?
इससे बेहतर हो कि जब भी आप किसी बात को लेकर टेंशन में हो तो आप घरवालों के साथ, बच्चों के साथ मन बहलाने का प्रयत्न करें। उनके साथ खेलें, हंसे, बोलें। अपने मित्रों से बात करें, मनोरंजन के साधन ढूंढें।

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