May 18, 2017

Motivational Story बिना विशेष परिश्रम के अपने शौक व अपने कार्य में अधिक कुशल और माहिर हो सकते हैं




बिना विशेष परिश्रम के अपने शौक व अपने कार्य में अधिक कुशल और माहिर हो सकते हैं
  
 अभ्यास की महिमा असीम है। किसी भी क्षेत्र में और किसी भी विषय में रुचि होने पर, अभ्यास द्वारा उसमें गति पाई जा सकती है।  
बाल्यावस्था से लें। अभ्यास से ही बच्चा चलना सीखता है। अभ्यास से ही बोलना सीखता है। अभ्यास से ही हम आप बचपन से बड़े होने तक हर चीज को सीख पाते हैं।

बच्चों को एक कहानी पढ़ाई जाती है। वोपदेव पढ़ने में कमजोर था। शिक्षक ने उसे कक्षा से निकाल दिया। वह मन मार कर दूसरे गांव को चल पड़ा। रास्ते में थक कर पानी पीकर एक कुंए की जगत पर जा बैठा। उसने जगत के पत्थर पर गहरे निशान देखे, पूछा तो मालूम हुआ कि रस्सी के आने जाने से निशान पड़े हैं। उसने सोचा कि नरम रस्सी यदि धीरे-धीरे कठोर पत्थर पर निशान डाल सकती है तो वह भी अभ्यास कर पढ़ाई में चतुर क्यों नहीं हो सकता। लौट कर शिक्षक से निवेदन किया कि एक अवसर और दें। वह मन लगाकर पढ़ेगा। कालान्तर में वह विद्वान् बना।
करत-करत अभ्यास से, जड़ मत होत सुजान।
रसरी आवत जात से, सिल पर पड़त निशान।
अब प्रश्न है कि अभ्यास के लिए समय कहां से आए। हर कोई यही कहता है मेरे पास जरा भी समय नहीं है।पर सच तो यह है कि यदि अपने दिन भर के कार्यों का लेखाजोखा देखा जाए कि समय कैसे बीतता है तो पता चल जाएगा कि कितना समय बर्बाद हो जाता है। अर्थात् हर किसी के पास यथेष्ट समय होता है केवल उसका व्यवस्थित उपयोग करने की जरुरत है।

एक दिन अपने एक परिचित इंजिनियर के यहां गया। उनके अध्ययन कक्ष में पुस्तकों से भरी अलमारियां थीं। कुछ पुस्तकें मेज पर भी रखी थी। उन्हें उलट-पलट कर देखा, वे सभी अनेक विषयों पर थी तथा सब पढ़ी हुई थीं क्योंकि उनके प्रमुख अंश रेखाकिंत थे। उनसे पूछा, ‘अपनी व्यस्तता और इंजिनियरिंग विषय से संबंधित नहीं रहने पर भी दूसरे विषयों की पुस्तकें पढ़ने का समय कैसे मिलता है?’

उनका उत्तर था, ‘कोई जरुरी नहीं है कि जो भी पढ़ा जाए वह आपके कार्य से ही संबंधित विषय हो। और आज बिना ज्ञान भंडार बढ़ाए काम भी तो नहीं चलता। और यह ज्ञान पुस्तकों द्वारा ही संभव है, मैं हर रात 10 से 11 बजे तक नियम से पढ़ता हूं। इसमें न केवल मैं अपने विषय की अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करता हूं, वरन् दूसरे मनपसंद विषयों की भी।

अतः हम कह सकते हैं कि, अभ्यास से बिना किसी विशेष परिश्रम व प्रयास के, अपने शौक में, अपने कार्य में और अधिक कुशल व माहिर हुआ जा सकता है।

इस प्रकार कह सकते हैं कि हजारों घंटे उपलब्ध हों और हम कहें समय नहीं है, इससे विषम स्थिति क्या हो सकती है। इससे हर कोई उबर सकता है, कोशिश करके तो देखें 

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