May 20, 2017

Hindi Poem आँखों में आँसू को रोकूं कैसे अगर बह गए तो, सब बहुत कुछ जान लेंगे



आँखों में आँसू को रोकूं कैसे 
अगर बह गए तो, सब बहुत कुछ जान लेंगे।

दर्द सीने में अब दफ़न नहीं होता
पलकों पर आंसू बनकर बार-बार आता,
सिसकियों में नहीं, भर-भराकर रो पड़ने की स्थिति है
अब आप ही बताएँ, क्या  करूँ?

आँखों में आँसू को रोकूं कैसे  
अगर बह गए तो, सब बहुत कुछ जान लेंगे।

जीवन में दुःख - सुख को अपनाते हुए
औरों की तरह जीवन-पथ पर चलता रहा 
दर्द मिलता रहा, समेटता रहा दामन में 
चेहरे पर मुस्कुराहट बिखेरता रहा

आँखों में आँसू को रोकूं कैसे  
अगर बह गए तो, सब बहुत कुछ जान लेंगे।

जीवन के इस अर्धबेला में 
जीवन गुम हुआ दुःखों के मेला में 
हर तिरस्कार को अपनाता गया 
रिश्तों को बचाने के लिए सर झुकाता गया 

आँखों में आँसू को रोकूं कैसे  
अगर बह गए तो, सब बहुत कुछ जान लेंगे।

कहीं भी प्रेम का बंधन नहीं, 
रिश्ता नहीं प्यार का
कहाँ गई वह मानवों की संवेदना 
यही प्रश्न है आँसुओं के साथ हर-बार का 

आँखों में आँसू को रोकूं कैसे  
अगर बह गए तो, सब बहुत कुछ जान लेंगे।।

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