उन्मुक्त गगन में चंचल मन
उड़ता,,,,,उड़ता जाये।
इन्द्रधनुषी रंग में रंगकर मन-मा
खिलता-खिलता जाये।।
उम्मीदों का नव-विहान है,
हौसलों की उड़ान हैं
खुशियों के उन्मुक्त गगन में
आशा ही पहचान है,
धरती पर रहकर शिखर को
छूना चाहे।
उन्मुक्त गगन में चंचल मन
उड़ता,,,,,उड़ता जाये।।
जीवन पथ पर प्रकाश है
आशीष भरा आकाश है
प्रेम, समर्पण, अपनापन में
विश्वास भरा अहसास है,
मानवता के स्नेह में
मन का आँगन भींगता जाये।
इन्द्रधनुषी रंग में रंगकर मन-मा
खिलता-खिलता जाये।।
जीवन में अँधेरा क्यों हो
अगर धैर्य और संकल्प का प्रकाश हो
नहीं मिलेगी असफलता
अगर लक्ष्य और लगन अम्बर सा विशाल हो,
उन्मुक्त गगन में चंचल मन
उड़ता,,,,,उड़ता जाये।
इन्द्रधनुषी रंग में रंगकर मन-मा
खिलता-खिलता जाये।।
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