क्या आप अपने जीवन से संतुष्ट हैं? क्या अब आप और आगे बढ़ना नहीं चाहते हैं?
क्या आप की नजर में रोटी कपड़ा और मकान की आवश्यकता पूरी कर लेना मात्र ही जीवन का उद्देश्य है?
क्या अपने क्षेत्र में अधिक से अधिक उन्नति करना, अपने रहन-सहन का स्तर अच्छा करना, अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध् कराना, समाज और राष्ट्र के लिए उपयोगी बनना, जीवन के महत्वपूर्ण कार्य नहीं हैं?
जीवन का लक्ष्य उन्नति करना ही होना चाहिए। सदैव उन्नति के लिए विचार और कार्य करना चाहिए। अपने जीवन में कुछ करके दिखलाने का इरादा होना चाहिए। मन में ऐसा दृढ़ विश्वास रखना चाहिए कि हमें अधिक से अधिक उन्नति करना है।
यह सत्य है कि आपकी सोच ही आपको बनाती और बिगाड़ती है। अतः हमेशा उन्नति करने की सोचें। जो निराशापूर्ण सलाह देते हैं, उन लोगों से सदा दूर रहें।
मनुष्य के जीवन में कोई भी उपलब्धि/सफलता अपनी उन्नति से बड़ी और महत्वपूर्ण नहीं होती है। जो लोग यह ठान लेते हैं कि उन्हें हर हालत में आगे बढ़ना है वे उन्नति के लिए निरंतर प्रयास करते रहते हैं और एक दिन उनको सफलता मिलती ही है।
‘मेरा कार्य अवश्य ही होगा’ ऐसा दृढ़ निश्चय करके मनुष्य को आलस्य छोड़कर जागना चाहिये तथा उत्साह से भरकर उन्नति के कार्यो में जुट जाना चाहिये।
यदि आप अपने जीवन में उन्नति करना चाहते हैं, कुछ करके दिखाना चाहते हैं तो सबसे पहले जीवन का लक्ष्य निर्धारित करें और फिर रुचि लेकर अपनी पूरी शक्ति तन-मन लगाकर उसे प्राप्त करने के लिए कठोर परिश्रम करें।
जीवन में उन्नति करने, आगे बढ़ने के लिए जिन गुणों की आवश्यकता होती है वे हैं-आशावादी दृष्टिकोण, आत्मविश्वास, उत्साह, लक्ष्य को पाने के लिए सतत प्रयत्नशील रहना, समय का सदुपयोग, कठोर परिश्रम।
इस प्रकार उन्नति करने की चाह रखने वाला कभी संतुष्ट होकर नहीं बैठता। बल्कि जीवन में उन्नति करने, आगे बढ़ने का संकल्प लेकर पूरे उत्साह के साथ जी-जान से जुट जाता है।
अतः जीवन में संतुष्ट रहकर निष्क्रिय बने रहना, उचित नहीं है। बल्कि लगातार प्रयत्नशील रहकर आगे बढ़ते रहना व जीवन की सारी खुशियाँ प्राप्त करना ही जीवन है।
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