Apr 28, 2017

साँझ-सवेरे दिल में मेरे -sanjh savere dil me mere



साँझ-सवेरे दिल में मेरे 
यादों के अनचाहे झोंके 
चुपके से आते हैं 
आकर इतराते हैं, इठलाते हैं

तब रहता है चाँद गुमसुम 
होती है रात अँधेरी 
कोई देता नहीं तब साथ मेरे  
ये दामन से लिपट जाते हैं 

साँझ-सवेरे दिल में मेरे 
चुपके से ये आते हैं 

सुबह-सवेरे, सूरज के किरणों से पहले 
ये सपनों में भी आते हैं 
डराते हैं, धमकाते हैं 
शाम को फिर आने का वादा करते हैं

साँझ-सवेरे दिल में मेरे 
चुपके से ये आते हैं 

कभी चले थे साथ दो कदम 
चौराहे पर वे छोड़ गये
बुने थे जो सपने, जड़े थे उसमें सितारे
सब यूँ ही बिखर गये

साँझ-सवेरे दिल में मेरे 
यादों के अनचाहे झोंके 
चुपके से आते हैं 
आकर इतराते हैं, इठलाते हैl   


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