याददाश्त अथवा स्मरणशक्ति को कमजोर होने से बचायें
कविता पढ़ना या लिखना ही नहीं, कविता सुनना भी मस्तिष्क और हृदय की सेहत के लिए अच्छा है। उससे एकाग्रता का विकास होता है। काव्य के रसास्वादन में लीन होने से व्यक्ति तनाव व चिंता से मुक्त हो जाता है। जिस प्रकार शरीर और मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए संगीत आवश्यक है उसी प्रकार कविता मस्तिष्क के रचनात्मक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। मानव पूर्व काल से काव्य के द्वारा अपने भावों को व्यक्त करता आया है। पुराने समय में भावाभिव्यक्ति का एकमात्रा माध्यम कविता ही रहा है। लोक साहित्य तो प्रायः काव्य के रूप में ही उपलब्ध है।
कविता पढ़ने या लिखने से मस्तिष्क की शक्ति का विकास होता है। कविता पढ़ना या लिखना मस्तिष्क का व्यायाम है। कविता के एक-एक शब्द और पंक्ति का अर्थ या भाव समझने के लिए मस्तिष्क पर जोर डालना पड़ता है। अतः उस समय मस्तिष्क की सक्रियता अपने चरम पर होती है। कविता गायन, ध्यान की एक महत्त्वपूर्ण विधि है। सस्वर कविता-पाठ के अभ्यास द्वारा तो वाक् संबंधी विकारों को भी दूर किया जा सकता है। कविता पाठ के दौरान प्राणायाम का अभ्यास स्वतः ही हो जाता है। कविता-पाठ से तनाव घटता है और आनंदानुभूति की प्राप्ति होती है। इससे श्वास संबंधी रोगों का नियंत्राण होता है। रात को सोते समय यह क्रिया आपको अनिद्रा से मुक्त कर नींद लाने में भी सहायता करती है।
डिप्रेशन-मानसिक तनाव को दूर करता है
कविता उत्साहवर्धक, उपचारक भी होती है। हास्य कविता काव्य की दृष्टि से ही नहीं भाव की दृष्टि से भी हास्य-चिकित्सा के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
काव्य लेखन अथवा काव्य के रसास्वादन से हमारे मस्तिष्क के दोनों भागों में संतुलन स्थापित हो जाता है। जिससे हम तनावमुक्त होकर स्वस्थ बने रहते हैं तथा रोगग्रस्त होने पर शीघ्र रोगमुक्त भी हो जाते हैं।
काव्य-कविता को ललित कला भी कहते है। इसके माध्यम से सृजनात्मकता का विकास होता है और सृजनात्मकता से व्यक्ति की एकाग्रता का विकास होता है।
कविता लेखन अथवा कविता पाठ के माध्यम से उसके भाव या विचार में खो जाने से मानसिक दशा में सकारात्मक बदलाव आता है।
कविता का विषय देश प्रेम हो, प्रकृति वर्णन हो अथवा आत्मज्ञान हो, हर प्रकार की कविता मनुष्य के मनोभावों को बदलने और नए भावों को स्थायित्व प्रदान करने में पूरी तरह सक्षम होती है।
कविता द्वारा व्यक्ति अपने पुराने नकारात्मक या अनुपयोगी भावों अथवा विकारों से मुक्त होकर जीवनोपयोगी भावों से युक्त हो जाता है।
नन्हें शिशुओं के लिए लोरी गाई जाती है जिससे मां और बच्चे दोनों के लिए स्वास्थ्यप्रद होती है। गीत में लयात्मकता होने से संगीत तथा मंत्रा चिकित्सा का समावेश भी इसमें हो जाता है। हमारे मंत्रा भी काव्य रूप में ही तो मिलते हैं।
कविता का विज्ञापन जगत् में भी बहुत महत्त्व है। आज विभिन्न विज्ञापनों में जो जिंगल वगैरह इस्तेमाल किए जाते हैं वे काव्य का ही एक रूप हैं।
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