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लगन को काँटों की परवाह नहीं होती।
- प्रेमचन्द
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नवसंवत पर विशेष
(Nav Samvat Par Vishes)
संकल्प और शुभकामना का संदेश
अन्तर ने संकल्प और शुभकामना का सन्देश सुनाया
अपना नव संवत आया, नव संवत आया।
धरती महक रही है फूलों और उपवन से
खेतों में सज रही है बालियाँ, सोने और चाँदी से
पेड़ों पे कोमल पते, हर डाली पे कली खिला है
हर तरफ सब कुछ नया नया सा है
अपना नव संवत आया है, नव संवत आया है ।
कृषक हर्षित मन से देख रहा है खेतों की क्यारी
तितलियाँ इठला रही है देख कर फूलों से भरी फुलवारी
प्रत्येक देशवासी का मन हरषाया है
पावन नवरात्रि से हर घर सजा सजाया है
अपना नव संवत आया है, नव संवत आया है ।
पहाड़ों ने किया है वर्फ का सिंगार
मैदानों में चल रहा है वसंत-बयार
दूर-दूर तक बज रहा है पावन झंकार
अपना नव संवत आया है, कर रहा है रस की बौछार । ।
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