Poem in hindi
गृहप्रवेश
Grihpravesh
बंधन गृह के, बंधन निवास के,
बंधन प्यार के, बंधन प्रीत के
बंधन रित के, रिवाज के
बड़े प्यारे होते हैं. ...
इसके सुनहरे नज़ारे होते हैं
जो जीवन को हर्षाते हैं
एक घर की स्थापना का कार्य
गृहप्रवेश कहलाते हैं
लेकर ईश्वर का आशीर्वाद
घर में सुख-वैभव लाते हैं
जीवन में प्रीत-प्यार पाकर
स्नेह भरे गीत गाते हैं..
जो गृहप्रवेश कहलाते हैं
अपनी धरा की सुगंध
सर्वत्र इस घर में भी फैलाते हैं
जीवन की सफलता के हर पल को
भिन्न भिन्न रंगों में यहाँ बिखराते हैं
जो गृहप्रवेश कहलाते हैं
नव गृह की प्रथम सुबह पर
नई रश्मियाँ अवतरित हो रही
चाह पूरी हुई अपनी पुरानी
श्रेष्ठ पहचान कायम हो रही।
----------------
----------------------------
----------------
No comments:
Post a Comment