Motivational Poem In hindi
रचेंगे एक नया दौर
Racheyge ak naya daaur
मन कहे उड़ चलूं , देखूं न कोई ठौर
रेत में फूल खिलेंगे, चलो चलें उस ओर।
प्रेम होगा, अहं न होगी, और होगा शौर्य,
फेंक कर नफरत की चादर, रचेंगे एक नया दौर।
छोटी-छोटी बातों पर, कोई बनेगा नहीं अब गैर,
अपना व्यवहार मधुर हो तो, क्यों होगा बैर॥
मन कहे उड़ चलूं , देखूं न कोई ठौर
रेत में फूल खिलेंगे, चलो चलें उस ओर।
मन में तनाव बढ़ाता है, गुस्सा और बैर
रहेंगे दूर इससे, प्रेम भरी दुनिया की होगी सैर।
खत्म हो गया आलस और सुस्ती का दौर
चुस्ती फुर्ती जगाने वाला हुआ है भोर॥
मन कहे उड़ चलूं , देखूं न कोई ठौर
रेत में फूल खिलेंगे, चलो चलें उस ओर।
विचारों के बदलते अंदाज का उठ रहा शोर
प्रेम की अनुभूति से, नाचे मन का मोर।
खत्म करेंगें नशा, व्यसन पीने - पिलाने का दौर
जीवन में रंग भरेगा, रोग हटेगा, धन बचेगा हर ओर॥
मन कहे उड़ चलूं , देखूं न कोई ठौर
रेत में फूल खिलेंगे, चलो चलें उस ओर।
आत्म-मनन कर लो, लेकर प्रेम की डोर
हर किसी से प्रेम हो, छूटे न इसकी छोर
अपना पेट हर जीव भरे, ये है कौन बड़ा काम
अतिथि देवो भवः कह कर अतिथि को खिलाये, वह मानव महान
मन कहे उड़ चलूं , देखूं न कोई ठौर
रेत में फूल खिलेंगे, चलो चलें उस ओर।
किराये के फ्लैटों में समायेगा कैसे,
दादा-दादी, ताऊ-चाचा, बुआ का प्यार
बनाना होगा फिर से, अपना घर-द्वार।
तभी लौटेगी रौनक जिंदगी में,
जीवित इंसानों का भी कद्र होगा,
यही परिवार व्यवस्था फिर से
मानव को सम्मान दिलायेगा॥
मन कहे उड़ चलूं , देखूं न कोई ठौर
रेत में फूल खिलेंगे, चलो चलें उस ओर।।
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