Jul 15, 2016

Motivational Poem - अपना रूप दिखलाने को - Apna Roop Dikhlane Ko


Motivational Poem

अपना रूप दिखलाने को 

Apna Roop Dikhlane Ko


परिवर्तन होता गया धैर्य के संबल से 
अंधकार मिटता गया प्रकाश के मेले से । 

नई चेतना हुई जागृत 
अपना रूप दिखलाने को 
बढ़ रहे हैं नौजवान 
अपना लक्छ पाने को
 परिवर्तन होता गया धैर्य के संबल से 
अंधकार मिटता गया प्रकाश के मेले से ।

छटपटा रहा है युवा मन 
अपनी तस्वीर बनाने को 
आँखों में सपने लिए 
संसार में कुछ आजमाने को
नई चेतना हुई जागृत, अपना रूप दिखलाने को ॥ 

छेड़ दी है जंग उसने 
सुंदर समाज बनाने को
स्वीकार किया है हर चुनौती 
अपना सपना सजाने को 
  नई चेतना हुई जागृत, अपना रूप दिखलाने को
युवाओं ने जब संकल्प लिया, घोर तिमिर मिटाने को ।  

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