Hindi Poem
मन की सोच में
हौंसला नहीं हारा जिसने
जीवन उसके नाम हुआ
सैकड़ों बार टूटा, छूटा जो
चोटी पर वही कामयाब हुआ।
सोचो होती है कितनी ताकत
हौंसलो में
मगर मिलती है मुफ्त मन की
कोटरों में
बहुत ऊँचाई पर चढ़कर भी
जो गिरने से नहीं डरता है
वह जानता है अगर गिर भी गया
फिर चढ़ने में वक्त नहीं लगता है
हौंसलो के लहरों पर
जो उठता चलता रहता है
सागर सी दुनियां में भी
हार कभी नहीं पाता है
ठान ले अगर इंसान
हौंसलो के साथ
बुलंदी तक साथ देती है
हौसले उनके साथ।
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