May 10, 2016

Hindi Poem तन्हाँ था मन मेरा



Hindi Poem  

तन्हाँ था मन मेरा


दर्द सिमटा था दिल में 
सैलाब था आँखों में आँसू का 
तन्हाँ था मन मेरा 
 सिमटा था उसमें  
लोगो की नफरतों की बारात 
रुसबाइयों के इर्द गिर्द लहरा रहा था मैं 
अरमानो का हर मोती बिखर रहा था यूँ ही 
इसी वक़्त के दौर में मिल गए थे तू 
दिल में एक ज़ज्बा  उठा
शायद बदल गए 
मेरे ज़िंदगी के दिन
मिली तुझसे भी
जब जिल्लत भरी बातें
उठा कहकहा तभी मेरे अंतरमन में
दिवा स्वप्न ही तो था यह एक 
हकीकत तो यही है ज़िन्दगी ?
जो है बड़ी सरल
इसे जटिल न बना मेरे दोस्त
हँसना, हँसाना और खिलखिलाना
बात बात पे मुस्कुराना
यही जीवन का हो सपना
 अपना।।

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