Hindi Poem
तन्हाँ था मन मेरा
दर्द सिमटा था दिल में
सैलाब था आँखों में आँसू का
तन्हाँ था मन मेरा
सिमटा था उसमें
लोगो की नफरतों की बारात
रुसबाइयों के इर्द गिर्द लहरा रहा था मैं
अरमानो का हर मोती बिखर रहा था यूँ ही
इसी वक़्त के दौर में मिल गए थे तू
दिल में एक ज़ज्बा उठा
शायद बदल गए
मेरे ज़िंदगी के दिन
मिली तुझसे भी
जब जिल्लत भरी बातें
उठा कहकहा तभी मेरे अंतरमन में
दिवा स्वप्न ही तो था यह एक
उठा कहकहा तभी मेरे अंतरमन में
दिवा स्वप्न ही तो था यह एक
हकीकत तो यही है ज़िन्दगी ?
जो है बड़ी सरल
इसे जटिल न बना मेरे दोस्त
हँसना, हँसाना और खिलखिलाना
बात बात पे मुस्कुराना
यही जीवन का हो सपना
अपना।।
जो है बड़ी सरल
इसे जटिल न बना मेरे दोस्त
हँसना, हँसाना और खिलखिलाना
बात बात पे मुस्कुराना
यही जीवन का हो सपना
अपना।।
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