प्रत्येक सुबहप्रकृति हमारी झोली में
यह कहने से काम नहीं चलता
कि समय कहाँ है ?
आज हर कोई यही कहता है
हमारे पास समय नहीं है |
पर सच तो यही है की
हर किसी के पास
समय रहता है |
प्रत्येक सुबह
प्रकृति हमारी झोली में
चौबीस घंटे डाल देती है |
है यह हम पर की
उपयोग इसका कैसे करें |
आठ घंटा सोने में
बारह घंटा जीविका जुटाने में
एक घंटा परिवार, एक घंटा
मनोरंजन का संसार |
बच गए अब दो घंटे
इसी में कुछ तो रचना होगा
आत्म-उन्नति के लिए
कुछ तो करना होगा |
सफल और असफल व्यक्ति में
‘मेरे पास समय नहीं था’
मात्र यही पाँच शब्दों का
अन्तर होता है |
कर्मठ व्यक्ति अपने दृढ़
निश्चय से
सृजनात्मक कार्य के लिए
एक-दो घंटे निकाल ही लेता है |
हर व्यक्ति ऐसा कर सकता है
|
हाँ आलसी अपवाद होते हैं ||
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