Hindi Poem-नयनों की अभिलाषा
नयनों की अभिलाषा
तेरे पलकों के अधरों पर,
दिखाई देता है
जब तुम चुप रहकर भी
कितना कुछ बोल जाते हो ।
नयनो के कोरों पर
आती रहती है
जमा होकर बरसने को आतुर
झिलमिलाती चमचमाती बूंदें
मन झंकृत होकर उछलती है
जिसे सुनकर भाषा को भी
चुप रहना होता है
क्योंकि यहाँ भी नयनों की बोली
ही केवल सुनने को मिलती है ॥
नयनों की अभिलाषा
तेरे पलकों के अधरों पर,
लज्जा से बोझिल होकर
झुक ही जाती है॥
पाकर प्रेरणा तेरे नयनो से वह
जीवन पथ पर दौड़ लगाता है
तेरे नयनों की अभिलाषा ही
स्वप्न बन कर
उसके जीवन पर छा
जाता है॥
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