जिन्दगी और जीवन धारा
पाकर तुझे ऐसा लगा
की मेरी खोज पूरी हो गई
कुछ भी तो भूले नहीं
जो पहली मुलाकात हुई।
शहर के बीचोबीच
बने उस सुंदर पार्क में
जहाँ कॉलेज के छात्रों ने
लगाई थी चित्रों की प्रदर्शनी।।
मुझे ही नहीं तुझे भी
आकर्षित करती थी
घंटों हम घुमा करते थे
चित्रों की प्रदर्शनियों में।
हम दोनों उन चित्रों में
अपनी जिंदगी के सच को
खोजते थे, तलाशते थे
घंटो निहारते थे।।
और फिर हम दोनों की
आकर्षण और एकरूपता ने
बदल दी हमारी जिंदगी और
हम दोनों की जीवनधारा।।
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