Sep 4, 2025

ऊंचाइयाें को छूने वाले

बादलों के संग

छोड़ कर उड़ना,

कुछ क्षणों के लिए 

जमीं पे उतर आ,

धरती मां का ले कर आशीष, 

फिर ऊंचाइयाें को छू ले।

जानता है तू,

उड़ कर बहुत देर बाद,

उतरना तो होगा,

इसी धरती माता के अंक में तुझे।

ऊंचाइयाें को छूने वाले

कभी अपनी जमीं को

नहीं भूलते। 

सीख लिया इस सीख को जिसने,

अटल लक्ष्य पर रहता है।

आगे जाकर वही अद्वितीय

महान कहलाता है।।

Aug 30, 2025

मंजिल

जब तक मिले न मंजिल, 

मन में विश्वास जलाये रखना।

राह में देख कर अंधेरा 

कभी न विचलित होना।।

सदा श्रेष्ठ विचारों को जो, 

आलोकित किये रखता है।

राह में अपनी निष्ठा को,

कभी डगमगाने नहीं देता है।।

अतीत और दुविधा की दशा को,

जो छोड़ कर चलता है।

पाता है वही मंजिल अद्वितीय,

जो सपने सजाएं रखता है।  

Aug 22, 2025

युवा

जागो युवाओं जागो, वक्त तुम्हारा आया है जागो।

बुला रही है मंजिल तुम्हारी, आलस दूर भगाओ।।

हिम्मत हार कर मत बैठो तुम, करो आज हुंकार।

देश तुम्हें बुला रहा है, सुन लो उसकी पुकार।।

आज तुम्हारा दिन है, तुम में है शक्ति अपार।

चलो बढ़ाओ कदम अपना, माटी करे पुकार।।

बन कर तुम दिखला दो सैनिक, रक्षक और जवान।

देश रक्षा सीमा पर करो या देश के अंदर का मैदान।।

या फिर मेहनतकश इंसान बन कर बनाओ देश महान।

कर्मठ किसान बनकर ले आओ खुशहाली का समान।।

बनकर व्यवसायी दिखलाओ, या बनो अद्वितीय नेता।

भारत को जरुरत तुम्हारी, जिम्मेवारी युवा ही तो लेता।।

Aug 21, 2025

बेटी बोझ नहीं है

वह पहली बार रो पड़ी,

यह जान कर कि------- 

वह परायी थी। 

जिस घर को अपना, 

समझती आ रही थी, 

वह अपना न था। 

बोझ, बोझ और बोझ,

वह उस घर के लिए

केवल बोझ थी।

परवरिश में तो कभी, 

कमी नहीं दिखी।

परन्तु 

मुखौटों के पीछे छुपाकर रखो, 

फिर भी चेहरा कह देता है 

हाँ ये सच है।

सगाई, विदाई और फिर, 

परायी की परायी।

तब उसने पूरे उत्साह से

एक ऐलान कर दिया,

मेरे जीवन का उद्देश्य 

उच्च शिक्षा ग्रहण करना है। 

और फिर वह अद्वितीय---

आकाश की ऊंचाइयों की ओर 

बढ़ ली।