May 7, 2025

प्रेम के बंधन

 प्रेम के बंधन

 

तुम्हारे प्रेम के बंधन में, 

मैं अभी बंधे ही थे कि--- 

तुमने बंधन तोड़ दिया,

जीवन के तंग मोड़ पर छोड़ दिया।


वे सारे कस्मे-वादे कहां गये,

वे सारे सपने अपनेे कहां गये,

अब दिल के तार जुडें़गे कैसे,

जब राह तुमने स्वयं मोड़ लिया।


मेरे जीवन में भर कर उजाले,

अब अंधेरा करके छोड़ दिया,

प्रेम के बंधन को तुमने तोड़ दिया,

जीवन के तंग मोड़ पर छोड़ दिया।


अब न करेंगे कोई शिकवा,

जब तुमने मुंह मोड़ ही लिया,

राह अपनी अद्वितीय बनायेंगे,

संगी साथी बनाना ही छोड़ दिया।

No comments:

Post a Comment