ये मुहब्बत, तेरा ऐसा अंजाम क्यों?
ये मुहब्बत, तेरा ऐसा अंजाम क्यों?
आँखों में इंतजार, और दिल रहता बेकरार क्यों?
मिलते हैं जब भी उनसे
होती है बातें ढेर सारी,
जुदा होते ही लगता है
फिर कब होगी मुलाकात हमारी।
पूछता है दिल आपसे, मुहब्बत का ऐसा अंजाम क्यों?
रहता है आँखों में इंतजार, और दिल बेकरार क्यों?
हमें मालूम था जवाब आपका आना नहीं है,
मुहब्बत में हाल, सभी का यही है।
खत प्रेम का कोई लिखता है
तो कोई फोन पर घंटो रहता है
सदियों से मुहब्बत, तेरा ऐसा ही अंजाम क्यों है?
आँखों में इंतजार, और दिल रहता बेकरार क्यों है?
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