Durga Puja Special Poem in Hindi
कर कल्याण माँ तू सारा
kar kalyan maa tu saara
क्यों टूट रही शब्दों की धारा
क्यों छूट रही गीतों की माला।
क्यों ह्रदय कष्टों को ढोता है
क्यों मन विचलित सा होता है
कुछ आस नहीं कुछ पास नहीं
मन रिता-रिता सा रहता है,
चेतन की लहरें शांत पड़ी है सारा,,,,,,,,
क्यों टूट रही शब्दों की धारा
क्यों छूट रही गीतों की माला।
चल उठ, अब सफर साथ आया
वर्षों बाद साथी पास आया
उनसे भी कह देंगे हम, महाप्राण !
वर्षों बाद साथी का साथ पाया,
कुछ कदम हो साथ हमारा,,,,,,,,
क्यों टूट रही शब्दों की धारा
क्यों छूट रही गीतों की माला।
कर जोड़ कर करूँ निवेदन
आँखों से बहे अश्रु धारा
अम्बा, जगदम्बा, माँ भवानी
हम करते हैं आह्वान तुम्हारा,
कर कल्याण माँ तू सारा,,,,,,,,,,
क्यों टूट रही शब्दों की धारा
क्यों छूट रही गीतों की माला।।
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