Hindi Poem - Milan Ki Bela
ओ रश्मिरथी तुझे आज
चाँद के आगे रुकना पड़ेगा
तेरी किरणों को चाँद चुरायेगा
अदभुत कहलायेगा ।
अजब संयोग है
गजब योग है
चंचल पवन
जुल्फों को लहराएगा
खगोल के पहलू में
धरती-चाँद-सूरज एक हो जाएगा ॥
आकाश के इस खेल में
और भी साथी आएगा
कहीं धूप - कहीं छाया
हो जायेगा ।
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