May 3, 2025

प्रेम की खूशबू

 प्रेम की खूशबू


अन्तस से क्यों आ रही है,

किसी को पाने की आस।

सतरंगी सपने भरे आकाश में,

किसी के होने का अहसास।।


सिंदूरी सांझ का आंचल, 

सरक रहा था तन पर।

समेटे प्रेम का चितवन,

छा रहा था मन पर।।


प्रेम की खूशबू पाकर 

अब इतराने लगा था मन।

सागर की बलखाती लहरों सी

लहराने लगा अद्वितीय यौवन।।

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